अमोल मालुसरे – सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा २ (ट) के अनूसार “ राज्य सूचना आयोग” कि परिभाषा क्या है? इसमें धारा २ (ट) “ राज्य सूचना आयोग ” से क्या अभिप्रेत है?
उत्तर – सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 कि धारा २ (ट) “राज्य सूचना आयोग” को परिभाषीत किया गया है।
धारा २ परिभाषाएं- इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो-
धारा २ (ट) “ राज्य सूचना आयोग” से धारा 15 की उपधारा (1) के अधीन गठित राज्य सूचना आयोग अभिप्रेत है;
राज्य सूचना आयोग
राज्य सूचना आयोग का गठन
धारा 15. (1) प्रत्येक राज्य सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा …………………. राज्य का नाम सूचना आयोग के नाम से ज्ञात एक निकाय का गठन करेगी, जो ऐसी शक्तियों का प्रयोग और ऐसे कृत्यों का पालन करेगा, जो उसे इस अधिनियम के अधीन सौंपे जाएं।
(2) राज्य सूचना आयोग निम्नलिखित से मिलकर बनेगा-
(क) राज्य मुख्य सूचना आयुक्त; और
(ख) दस से अनधिक उतनी संख्या में राज्य सूचना आयुक्त, जितने आवश्यक समझे जाएं।
(3) राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा निम्निलिखित से मिलकर बनी किसी समिति की सिफारिशपर की जाएगी-
i. मुख्यमंत्री, जो समिति का अध्यक्ष होगा।
विधानसभा में विपक्ष का नेता; और
ii. मुख्यमंत्री द्वारा नाम निर्दिष्ट किया जाने वाला मंत्रिमंडल का सदस्य।
स्पष्टीकरण – शंकाओं के निवारण के लिए यह घोषित किया जाता है कि जहां विधान सभा में विपक्षी दल के नेता को उस रूप में मान्यता नहीं दी गई है, वहां विधान सभा में सरकार के विपक्षी एकल सबसे बडे समूह के नेता को विपक्षी दल का नेता समझा जाएगा।
(4) राज्य सूचना आयोग के कार्यों का साधारण अधीक्षण, निदेशन और प्रबंध राज्य मुख्य सूचना आयुक्त से निहीत होगा, जिसकी सहायता राज्य सूचना आयुक्तों द्वारा की जाएगी और वह ऐसी सभी शक्तियों का प्रयोग और ऐसे सभी कार्य और बातें कर सकेगा, जिनका राज्य सूचना आयोग द्वारा इस अधिनियम के अधीन किसी अन्य प्राधिकारी के निर्देशों के अधीन रहे बिना स्वतंत्र रुप से प्रयोग किया जा सकता है या जो की जा सकती है।
(5) राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्त विधि, विज्ञान ओर प्रौद्यगिकी, समाज सेवा, प्रबंध, पत्रकरिता, जनसंपर्क माध्यम या प्रशासन तथा शासन का व्यापक ज्ञान और अनुभव रखने वाले जनजीवन में प्रख्यात व्यक्ति होंगे।
(6) राज्य मुख्य सूचना आयुक्त या कोई राज्य सूचना आयुक्त, यथास्थिति, संसद का सदस्य या किसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्रों के विधान-मंडल का सदस्य नहीं होगा या कोई अन्य लाभ का पद धारित नहीं करेगा या किसी राजनैतिक दल से संबद्ध नहीं होगा अथवा कोई कारबार नहीं करेगा या कोई वृत्ति नहीं करेगा।
(7) राज्य सूचना आयोग का मुख्यालय, राज्य में ऐसे स्थान पर होगा और जिसे राज्य सरकार राजपत्र में अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट करें और राज्य सूचना आयोग, राज्य सरकार के पूर्व अनुमोदन से, राज्य में अन्य स्थानों पर कार्यालय स्थापित कर सकेगा।
टिप्पणी
इस अधिनियम द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग तथा कृत्यों का निर्वहन करने के लिए धारा 15 में एक राज्य सूचना आयोग का गठन का प्रावधान किया गया है। आयोग का गठन राजपत्र में अधिसूचना जारी करते हुए राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा।
गठन-
राज्य सूचना आयोग का गठन निम्नांकित से मिलकर होगा-
राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एक; तथा
राज्य केन्द्रीय सूचना आयुक्त (अधिक तम दस)
चयन समिति-
राज्य मुख्य सूचना आयुक्त तथा सूचना आयुक्तों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जायेगी। इन पदों पर नियुक्त हेतु नामों की अनुशंसा एक चयन समिति द्वारा की जाएगी, जिसमें निम्नांकित सदसय होंगे-
(क) मुख्यमंत्री अध्यक्ष
(ख) विधान सभा में विपक्ष का नेता सदस्य
(ग) मुख्यमंत्री द्वारा नामनिर्देष्ट सदस्य
एक मंत्री
अधीक्षण की शक्तियां-
राज्य सूचना आयोग के कार्यों के अधीक्षण, निदेशन और प्रबंधन की शक्तियां मुख्य सूचना आयुक्त में निहीत होगी। सूचना आयुक्तों द्वारा मुख्य सूचना आयुक्त के कार्यों में सहायता की जायेगी।
अहर्तायें
क. विधि;
ख. विज्ञान और प्रौद्योगिकी;
ग. समाज सेवा;
घ. प्रबंधन;
ङ. पत्रकारिता;
च. जन माध्यम;
छ. प्रशासन; अथवा
ज. शासन।
प्रतिबंध-
राज्य मुख्य सूचना आयुक्त अथवा सूचना आयुक्त-
(क) संसद या राज्य विधान मण्डल के सदस्य नहीं होगे;
(ख) लाभ का कोई अन्य पद धारण नहीं कर सकेंगे;
(ग) किसी राजनितिक दल से सम्बद्ध नहीं होंगे; अथवा
(घ) कोई कारबार या वृत्ति नहीं कर सकेंगे।
मुख्यालय-
राज्य सूचना आयोग का मुख्यालय ऐसे स्थान पर होगा जो राज्य सरकार राजपत्र में अधिसूचना जारी कर विहित्त करें।दिल्ली में होगा।
राज्य सरकार के पूर्व अनुमोदन से आयोग द्वारा मुख्य सूचना आयुक्त द्वारा भारत में अन्य स्थानों पर अपने कार्यालय स्थापित किए जा सकेंगे।