अमोल मालुसरे –सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 18 (1) में “विहीत” किये गये अनूसार केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग के क्या कर्तव्य है?

 

उत्तर-धारा 18 (1)के अनुसार केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग के  कर्तव्य निम्नानुसार होगा-

18. (1)  इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए, यथास्थिति, केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य आयोग का यह कर्तव्य होगा कि वह निम्नलिखित किसी ऐसे व्यक्ति से शिकायत प्राप्त करे और उसकी जांच करे-

(क) जो, यथास्थिति, किसी केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी को इस कारण से अनुरोध प्रस्तुत करने में असमर्थ रहा है कि इस अधिनियम के अधीन ऐसे अधिकारी की नियुक्ति नहीं की गई है या, यथास्थिति, केन्द्रीय सहायक लोक सूचना अधिकारी या राज्य सहायक लोक सूचना अधिकारी ने इस अधिनियम के अधीन सूचना या अपील के लिए धारा 19 की उपधारा (1)  में विनिर्दिष्ट केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी अथवा ज्येष्ठ अधिकारी या यथास्थिति केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य आयोग को उसके आवेदन को भेजने के लिए स्विकार करने से इंकार कर दिया है,

 

(ख) जिसे इस अधिनियम के अधीन अनुरोध की गई कोई जानकारी तक पहुंच के लिए इंकार कर दिया गया है;

 

(ग) जिसे इस अधिनियम के अधीन विनिर्दिष्ट समय –सीमा के भीतर सूचना के लिए या सूचना तक पहुंच के लिए अनुरोध का उत्तर नहीं दिया गया है;

 

(घ) जिससे ऐसी फीस की रकम का संदाय करने की अपेक्षा की गई है जो वह अनुचित समझता है;

 

(ड) जो यह विश्वास करता है कि उसे इस अधिनियम के अधीन अपूर्ण भ्रम में डालने वाली या मिथ्या सूचना दी गई है; और

 

(च) इस अधिनियम के अधीन अभिलेखों के लिए अनुरोध करने का उन तक पहुंच प्राप्त करने से संबंधित किसी अन्य विषय के संबंध में।

 

आयोग के कर्तव्य हेतु टिप्पणी-

धारा 18 के उपबंध अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं। इसमें सूचना आयोग की शक्तियों एवं कर्तव्योँ का उल्लेख किया गया है।

उपधारा (1) में आयोग के कर्तव्यों का उल्लेख किया गया है।

इसके अनुसार केन्द्रीय सूचना आयोग तथा राज्य सूचना आयोग कि यह कर्तव्य है कि वह निम्नांकित व्यक्तियों से शिकायत प्राप्त कर उनकी जाचं करें-

(क) जो केन्द्रीय या राज्य सूचना अधिकारी की नियुक्ति नहीं होने से आवेदन नहीं कर पाया है;

(ख)  जिसे अनुरोधित जानकारी तक पहुँचने से इन्कार कर दिया गया है;

(ग)  जिसे निर्धारित समयावधि में सूचना तक पहुँचने के लिए अनुरोध का उत्तर नहीं दिया गया है;

(घ) जिसे फीस की अनुचित राशि की मांग की गई है;

(ड) जिसे अधिनियम के अधीन अपूर्ण. भ्रमात्मक अथवा मिथ्या सूचना दी गई है; अथवा

(च) अभिलेखों के लिए अनुरोध करने या उन तक पहुँच प्राप्त करने से संबंधित किसी अन्य विषय के संबंध में।

इस प्रकार उपरोक्त मामलों में आयोग द्वारा आरम्भ की जा सकती है। इसका मुख्य उद्देश्य यही है कि कोई भी व्यक्ति सूचना प्राप्त करने के अधिकार से वंचित नहीं रह जाये।

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