अमोल मालुसरे –सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 7 में विहीत अनूसार सूचना अभिप्राप्त करने के लिए अनुरोधों के निपटारा हेतू प्रक्रिया क्या है?

उत्तर-

 

धारा 7.  अनुरोधों का निपटारा

1.    धारा 5 की उपधारा (2) के परंतुक या धारा 6 की उपधारा (3)  के परंतुक के अधीन रहते हुए, धारा 6 के अधीन अनुरोध के प्राप्त होने पर, यथास्थिति, किसी केन्द्रीय स लोक सूचना अधिकारी या  राज्य  लोक सूचना अधिकारी यथा संभव शीघ्रता से, और किसी भी दशा में अनुरोध की प्राप्ति के तीस दिन के भीतर, ऐसी फीस के संदाय पर, जो विहीत की जाए, या तो सूचना उपलब्ध कराएगा या धारा 8 और धारा 9  में विनिर्दिष्ट कारणों में ये किसी कारण से अनुरोध को अस्वीकार करेगा:

परंतु जहां मांगी गई जानकारी का संबंध किसी व्यक्ति के जीवन या स्वतंत्रता से है, वहां वह अनुरोध प्राप्त होने के अडतालीस घंटे के भीतर उपलब्ध कराई जाएगी।

 

2.    यदि लोक सूचना अधिकारी, उपधारा (1)  के अधीन विनिर्दिष्ट अवधि के भीतर सूचना के लिए अनुरोध पर विनिश्चय करने में असफल रहता है, यथास्थिति, किसी केन्द्रीय  लोक सूचना अधिकारी या  राज्य  लोक सूचना अधिकारी के बारे में यह समझा जाएगा कि उसने अनुरोध को नामंजूर कर दिया।

3.     जहां, सूचना उपलब्ध कराने की लागत के रूप में किसी और फीस के संदाय पर सूचना उपलब्ध कराने का विनिश्चय किया जाता है, वहां यथास्थिति, किसी केन्द्रीय  लोक सूचना अधिकारी या  राज्य  लोक सूचना अधिकारी अनुरोध करने वाले व्यक्ति को,

(क)  उपधारा (1)  के अधीन विहीत फीस के अनुसरण में रकम निकालने के लिए की गई संगणनाओं के साथ उसके द्वारा यथाअवधारित सूचना उपलब्ध कराने की लागत के रूप में और फिस के ब्यौरे देते हुए उससे उस फीस को जमा करने का अनुरोध करते हुए कोई संसूचना भेजेगा और उक्त संसूचना के प्रेषण और फिस के संदाय के बीच मध्यवर्ती अवधि को उस धारा में निर्दिष्ट तीस दिन की अवधि की संगणना करने के प्रोयजन के लिए अपवर्जित किया जाएगा;

(ख) प्रभारित फिस की राशि या उपलब्ध कराई गई पहुंच के प्ररूप के बारे में, जिसके अंतर्गत अपील प्राधिकारी की विशिष्टियां, समय-सीमा, प्रक्रिया और कोई अन्य प्ररूप भी है, विनिश्चय के पुनर्विलोकन के संबंध में उसके अधिकार से संबंधित सूचना देते हुए, कोई संसूचना भेजेगा।

 

4.    जहां, इस अधिनियम के अधीन अभिलेख या उसके किसी भाग तक पहुंच अपेक्षित है और ऐसा व्यक्ति, जिसको पहुंच उपलब्ध कराई जाना है, संवेदनात्मक रूप से निःशक्त है, वहां यथास्थिति,  केन्द्रीय  लोक सूचना अधिकारी या  राज्य  लोक सूचना अधिकारी सूचना तक पहंच को समर्थ बनाने के लिए सहायता उपलब्ध कराएगा जिसमें निरीक्षण के लिए ऐसी सहायता कराना सम्मिलित है, जो समुचित हो।

5.    जहां, सूचना तक पहंच मुद्रीत या किसी इलेक्ट्रानिक प्ररूप में उपलब्ध कराई जानी है, वहां आवेदक, उपधारा (6)  के अधीन रहते हुए ऐसी फीस का संदाय करेगा, जो विहीत की जाए:

परंतु धारा 6  की उपधारा (1) और धारा 7 की उपधारा (1)  और उपधारा (5)  के अधीन विहीत फीस युक्तियुक्त होगी और ऐसे व्यक्तियों से, जो गरीबी की रेखा के नीचे है, कोई फिस प्रभारित नहीं की जाएगी, जैसा समूचित सरकार द्वारा अवधारित किया जाए।

6.    उपधारा (5)  में किसी बात के होते हुए भी, जहां कोई लोक प्राधिकारी उपधारा (1)  में विनिर्दिष्ट समय-सीमा का अनुपालन करने में असफल रहता है, वहां सूचना के लिए, अनुरोध करने वाले व्यक्ति कोप्रभार के बिना सूचना उपलब्ध कराई जाएगी।

7.    उपधारा (1)  के अधीन कोई विनिश्चय करने से पूर्व, यथास्थिति,  केन्द्रीय  लोक सूचना अधिकारी या  राज्य  लोक सूचना अधिकारी  धारा 11  के अधीन किसी तीसरे पक्षकार द्वारा किए गए अभ्यावेदन को ध्यान में रखेगा।

8.    जहां, किसी अनुरोध को उपधारा (2)  के अधीन अस्वीकृत किया गया समझा गया है, वहां लोक सूचना अधिकारी अनुरोध करने वाले व्यक्ति को,-

i.        ऐसी अस्वीकृति के कारण;

ii.        वह अवधि, जिसके भीतर ऐसी अस्विकृति के विरुद्ध कोई अपील की जा सकेगी; और

iii.        अपील प्राधिकारी की विशिष्टियां, संसूचित करेगा।

9.     किसी सूचना को साधारणतया उसी प्ररूप में उपलबर्ध कराया जाएगा, जिसमें उसे मांगा गया है, जब तक कि यह लोक प्राधिकार के संशोधनों को अननुपाती रूप से विचलित न करता हो या अमोल मालुसरे गत अभिलेख की सुरक्षा या संरक्षण के प्रतिकुल न हो।

टिप्पणी

  धारा 7  चाही गइ सूचना के आवेदनों / अनुरोधों के निपटान के बारे में प्रावधान करती है। इसके अनुसार-

(क)  सामान्य आवेदनों का निपटारा 30 दिनों में कर दिया जाना चाहिए अर्थात 30 दिनों में वांछित सूचना आवेदक को उपलब्ध करा दी जानी चाहिए।

(ख) यदि ऐसी सूचना किसी व्यक्ति के जीवन या स्वतंत्रता से संबंधित है, तो संबंधित आवेदन/ अनुरोध का निपटारा 48 घंटों में कर दिया जाना चाहिए।

उपरोक्त अवधि में आवेदन का निपटारा नहीं किए जाने का अभिप्राय यह होगा कि वह आवेदन नामंजूर कर दिया गया  है।

यदि सूचना उपलब्ध कराने के लिए और कोई शुल्क देय है तो ऐसा शुल्क जमा कराने हेतु आवेदक को कहा जायेगा।

यदि आवेदक किसी अभिलेख तक पहुँच के लिए निःशक्त है तो केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या  राज्य  लोक सूचना अधिकारी द्वारा पहुँच सुगम कराने में सहायता की जायेगी।

 

इन्क्वारी का आदेश-

 यदि किसी लोक प्राधिकारी द्वारा सूचना उपलब्ध करान से इन्कार किया जाता है अर्थात आवेदन को अस्वीकार किया जाता है तब ऐसा लोक सूचना अधिकारी आवेदक को निम्नांकित बातें संसूचित करेगा-

i.        आवेदन को अस्वीकार किए जाने के कारण;

ii.        अपील किए जाने की अवधि; तथा

iii.        अपील प्राधिकारी की विशिष्टियां

सामान्यतः सूचना उसी प्ररूप में उपलब्ध कराई जाएगी जिस प्ररूप में वे चाही गई है।

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