अमोल मालुसरे – सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 में विहीत “धारा 4” लोक प्राधिकारियों की बाध्यताएं कौन सी है?
उत्तर-
4. लोक प्राधिकारियों की बाध्यताएं
1. प्रत्येक लोक प्राधिकारी –
(क) सम्यक रूप से सूचीपत्रित और अनुक्रमणिकाबद्ध अपने सभी अभिलेखों को किसी ऐसी रीति और रूप में रखेगा, जो इस अधिनियम के अधीन सूचना के अधिकार को सूकर बनाता है और सुनिश्चित करेगा कि ऐसे सभ अभिलेख जो कंप्यूटरीकृत किए जाने के लिए समुचित है, युक्तियुक्त समय के भीतर है और संसाधनों की उपलभ्यता के अधीन रहते हुए है, कंप्युटरीकृत और विभिन्न प्रणालियों पर संपूर्ण देश में नेटवर्क के माध्यम से संबद्ध है जिससे कि ऐसे अभिलेख तक पहुंच को सूकर बनाया जा सके;
(ख) इस अधिनियम के अधिनियमन से एक सौ बीस दिन के भीतर-
i. अपने संगठन की विशिष्टियां, कृत्य और कर्तव्य;
ii. अपने अधिकारीयों और कर्मचारीयों की शक्तियाँ और कर्तव्य;
iii. विनिश्चय करने की प्रक्रिया में पालन की जाने वाली प्रक्रिया जिसमें पर्यवेक्षण और उत्तरदायित्व के क्या माध्यम सम्मिलित है;
iv. अपने कृत्यों के निर्वहन के लिए स्वयं द्वारा स्थापित मापमान;
v. अपने द्वारा या अपने नियंत्रणाधीन धारित या अपने कर्मचारीयों द्वारा अपने कृत्यों के निर्वहन के लिए प्रयोग किये गये नियम, विनियम, अनुदेश, निर्देशिका और अभिलेख;
vi. ऐसे दस्तावेजों के, जो उसके द्वारा धारित या उसके नियंत्रणाधीन है, प्रवर्गों का विवरण;
vii. किसी व्यवस्था की विशिष्टीयाँ जो उसकी निती की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विदयमान है;
viii. ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितीयों व अन्य निकायों के विवरण जिनमें दो या अधिक व्यक्ति है, जिनका उसके भाग रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितीयों व अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी;
ix. अपने अधिकारियों और कर्मचारियों की निर्देशिका;
x. अपने प्रत्येक अधिकारी और कर्मचारी द्वारा प्राप्त मासिक पारश्रमिक जिसमें उसके विनियमों में यथा उपबंधित प्रतिकर की प्रणाली सम्मिलीत है ;
xi. . सभी योजनाओं, प्रस्तावित व्ययोँ और किये गये संवितरणों पर रिपोर्टों की विशिष्टीयां उपदर्शित करते हुए अपने प्रत्येक अभिकरण को आबंटीत बजट ;
xii. सहायिकी कार्यक्रमों के निष्पादन की रिती जिसमें आबंटीत राशि और ऐसे कार्यक्रमों के फायदाग्राहियों के ब्यौरे सम्मिलित है;
xiii. अपने द्वारा अनुदत्त रियातों, अनुज्ञापत्रों या प्राधिकारों के प्राप्ति कर्ताओं की विशिष्टीयां;
xiv. किसी इलेक्ट्रॉनिक रूप में सूचना के संबंध में ब्यौरे, जो उसको उपलब्ध हो या उसके द्वारा धारित हो;
xv. सूचना अभिप्राप्त करने के लिए नागरिकों को उपलब्ध सुविधाओं की विशिष्टीयां, जिनके अन्तर्गत किसी पुस्तकालय या वाचन कक्ष के यदि लोक उपयोग के लिए अनुरक्षित हैं तो कार्यकरण घण्टे सम्मिलित हैं;
xvi. लोक सूचना अधिकारीयों के नाम, पदनाम और अन्य विशिष्टीयां;
xvii. ऐसी अन्य सूचना, जो विहित की जाए;
प्रकाशित करेगि और तत्पशचात इन प्रकाशनों को प्रत्येक वर्ष में अद्तन करेगा;
(ग) महत्त्वपूर्ण नीतीयों की विरचना करते समय या ऐसी विनिश्चयों की घोषणा करते समय, जो जनता को प्रभावित करते हो, सभी सुसंगत तथ्यों को प्रकाशित करेगा;
(घ) पर्भावित व्यक्तियों को अपने प्रशासनिक या न्यायिककल्प विनिश्चयों के लिए कारण उपलब्ध कराएगा।
2. प्रत्येक लोक अधिकारी का निरंतर यह प्रयास होगा कि यह स्वप्रेरणा से संसूचना के विभिन्न साधनों के माध्यम से, जिसके अंतर्गत इंटरनेट भी है, नियमित अंतरालों पर जनता को उतनी सूचना उपलब्ध कराने के लिए उपधारा (1) के खंड (ख) की अपेक्षाओं के अनुसार उपाय करे, जिससे कि जनता को सूचना प्राप्त करने के लिए इसअधिनियम का कम से कम अवलम्ब हो।
3. उपधारा (1) के प्रयोजन के लिए, प्रत्येक सूचना को विस्तृत रूप से और ऐसे प्ररूप और रीति में प्रसारिर किया जाएगा, जो जनता के लिए सहज रूप से पहुंच योग्य हो सके।
4. सभी सामग्री को, उस क्षेत्र में लागत प्रभावशीलता, स्थानीय भाषा और संसूचना की अत्यंत प्रभावी पद्धती को ध्यान में रखते हुए, प्रसारित किया जाएगा तथा सूचना तक, यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य सूचना अधिकारी के पास इलेक्ट्रानिक प्ररूप में संभव सीमा तक निःशुल्क या माध्यम की ऐसी लागत पर या ऐसी मुद्रण लागत कीमत पर, जो विहीत की जाए, सहज पहुंच होनी चाहिए।
स्पष्टीकरण=- उपधारा (3) या उपधारा (4) के प्रयोजनों के लिए ‘प्रसारित’ से सूचना पट्टों, समाचारपत्रों, लोक उदघोषणाओं, मिडिया प्रसारणों, इंटरनेट या किसी अन्य युक्ति के माध्यम से जिसमें किसी लोक प्राधिकारी के कार्यालयों का निरीक्षण सम्मिलित है, जनता को सूचना की जानकारी देना या संसूचित कराना अभिप्रेत है।
टिप्पणी
धारा 4 में लोक प्राधिकारियों की बाध्यताओं का उल्लेख किया गया है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि धारा 4 लोक प्राधिकारियों पर कतिपय बाध्यतायें अधिरोपित करती है। इन बाध्यताओं में से कुछ महत्त्वपूर्ण बाध्यताएं निम्नांकित है-
i. सभी संगठनों की विशिष्टियों, अधिकारियों के अधिकारों एवं कर्तव्यों, उनके द्वारा अपनाई जानेवाली प्रक्रीया, निर्णय लेने में अनुपालन किए जाने वाले मानकों आदि का अभिलेख संधारित कराना, ताकि जनसाधारण की उन तक पहँच सुगम हो सके।
ii. जन साधारण को प्रभावित करने वाले विनिश्चयों, नीतीयों आदि से संबंधित तथ्यों का अभिलेख तैयार करना।
iii. नीतियों एवं विनिश्चयों की पृष्ठभूमि के कारण।
यह कुछ ऐसे अभिलेख एवं ऐसी बाध्यताएं है जो नैसर्गिक न्याया के सिध्दांतों काअनुसरण करने का मार्ग प्रशस्त करती है। ये लोकतांत्रिक मूल्यों को अग्रसर करने में भी सहायक बनती है। इन बाध्यताओं को समय समय पर प्रकाशित करने तथा उन्हें अद्यतन रखने का दायित्व भी लोक प्राधिकारियों पर अधिरोपित किया गया है।
कुल मिलाकर इन बाध्यताओं का मुख्य उद्देश्य अभिलेखों का सदैव तैयार रखना है ताकि कभी भी जनसाधारण की उन तक पहुँच सुगम एवं सुनिश्चित हो सके।