अमोल मालुसरे —सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 14 (4) में “विहीत” किये गये अनूसार मुख्य सूचना आयुक्त या सूचना आयुक्तों को कदाचार का दोषी कब समझा जाएगा?

उत्तर—सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 धारा – 14. (4) के अनुसार

यदि मुख्य सूचना आयुक्त या सूचना आयुक्त , किसी प्रकार भारत सरकार द्वारा या उसमें हितबद्ध है या किसी संविदा या करार से संबंद्ध या उसमें हितबद्ध है या किसी निगमित कंपनी के किसी सदस्य के रूप में से अन्यथा और उसके अन्य सदस्यों के साथ सामान्यत: उसके लाभ में या उससे प्रोदभूत होने वाले किसी फायदे या परिलब्धियों में हिस्सा लेता है तो वह उपधारा (1) के प्रयोजनों के लिए, कदाचार का दोषी समझा जाएगा।

 

 

कदाचार हेतु टिप्पणी

उपधारा (4)  के अनुसार निम्नांकित को कदाचार माना गया है-

(क) भारत सरकार द्वारा या उसकी ओर से की गई किसी संविदा या करार से सम्बद्ध या हितबध्द रहना; या

(ख)  किसी निगमित कम्पनी के सदस्य से अन्यथा किसी रूप में और उसके अन्य सदस्यों के साथ संयुक्त रुप में उसके लाभ में या उससे प्रोदभुत होने वाले किसी फायदे या परिलब्धियों

में हिस्सा लेना।

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