अमोल मालुसरे –सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 17 में “विहीत” किये गये अनूसार राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्त को हटाये जाने की प्रक्रिया क्या है?


उत्तर-धारा 17 के अनुसार  मुख्य सूचना आयुक्त या सूचना आयुक्त को हटाये जाने की प्रक्रिया निम्नानूसार होगीं –

 

. (1) उपधारा (3) के उपबंधों के अधीन रहते हुए, राज्य मुख्य सूचना आयुक्त या किसी राज्य सूचना आयुक्त को राज्यपाल के आदेश द्वारा साबित कदाचार या असमर्थता के आधार पर उसके पद से तभी हटाया जाएगा, जब उच्चतम न्यायालय ने राज्यपाल द्वारा उसे किए गए किसी निर्देश पर जांच के पश्चात यह रिपोर्ट दी हो कि, यथास्थिति, राज्य मुख्य सूचना आयुक्त या राज्य सूचना आयुक्त को उस आधारपर हटा दिया जाना चाहिए।

 

(2) राज्यपाल, उस राज्य मुख्य सूचना आयुक्त या राज्य सूचना आयुक्त को, जिसके विरूद्ध उपधारा (1) के अधीन उच्चतम न्यायालय को निर्देश किया गया है, ऐसे निर्देश पर उच्चतम न्यायालय की रिपोर्ट प्राप्त होने पर राज्यपाल द्वारा आदेश पारित किए जाने तक पद से निलंबित कर सकेगा और यदि आवश्यक समझे तो जांच के दौरान कार्यालय में उपस्थिति होने से भी प्रतिषिद्ध कर सकेगा।

 

(3) उपधारा (1)  में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी राज्यपाल किसी बात के होते हुए भी राज्यपाल, राज्य मुख्य सूचना आयुक्त याकिसी राज्य सूचना आयुक्त को आदेश द्वारा पद से हटा सकेगा, यदि यथास्थिति, राज्य मुख्य सूचना आयुक्त या राज्य सूचना आयुक्त-

(क)  दिवालिया न्यायनिर्णीत किया गया है; या

 

(ख)  वह ऐसे अपराध के लिए दोषसिद्ध ठहराया गया है, जिसमें राज्यपाल के राय में, नैतिक अधमता अंतर्वतित है; या

 

(ग) वह अपनी पदावधि के दौरान, अपने पद के कर्तव्यों से परे किसी वैतनिक नियोजन में लगा हुआ है; या

(घ) राज्यपाल की राय में, मानसिक या शारीरिक अक्षमता के कारण पद पर बने रहने के अयोग्य है; या

(ड)  उसने ऐसे वित्तिय और अन्य हित अर्जित किए है, जिनसे मुख्य सूचना आयुक्त या सूचना आयुक्त के रूप में उसके कृत्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पडने की संभावना है।

 

(4) यदि राज्य मुख्य सूचना आयुक्त या कोई राज्य सूचना आयुक्त, किसी प्रकार राज्य  सरकार द्वारा या उसकी ओर से की गई किसी संविदा या करार से संबद्ध या उसमें हितबद्ध है या किसी निगमित कंपनी के किसी सदस्य के रूप में से अन्यथा और उसके अन्य सदस्यों के साथ सामान्यत: उसके लाभ में या उससे प्रोदभूत होने वाले किसी फायदे या परिलब्धियों में हिस्सा लेता है तो वह उपधारा (1) के प्रयोजनों के लिए, कदाचार का दोषी समझा जाएगा।

 

टिप्पणी

  धारा 17 राज्य मुख्य सूचना आयुक्त तथा सूचना आयुक्तों को पद से हटाये जाने के संबंध में है।

आधार-

राज्य मुख्य सूचना आयुक्त तथा  सूचना आयुक्त को निम्नांकित आधारों पर राज्यपाल द्वारा पद से हटाया जा सकेगा-

(क) कदाचार; अथवा

(ख) असमर्थता।

जांच-

लेकिन इन आधारों पर पदच्युति केवल तभी की जा सकेगी राज्यपाल द्वारा उच्चतम न्यायालय द्वारा जांच के पश्चात इस आशय की रिपोर्ट दे दी जाये।

निलम्बन-

जब राज्यपाल द्वारा  जांच के लिए कोई मामला उच्चतम न्यायालय को निर्देशित किया जाता है, तब ऐसी रिपोर्ट के आने तक राज्यपाल द्वारा सूचना आयुक्त अथवा

राज्य मुख्य सूचना आयुक्त को निलम्बित किया जा सकेगा और आवश्यक होने पर उसे कार्यालय में उपस्थित होने से भी रोका जा सकेगा।

पदच्युति के आधार-

      राज्यपालद्वारा निम्नांकित आधारों पर भी राज्य मुख्य सूचना आयुक्त या  सूचना आयुक्त

को उसके पद से हटाया जा सकेगा-

1.    जब वह नैतिक अधमता के किसी मामले में दोष सिध्द ठहराया गया हो।

2.    जब उसने लाभ का कोई पद धारण कर लिया हो अर्थात वह वैतनिक नियोजन में लग गया हो।

3.    जब वह दिवालिया न्यायनिर्णित कर दिया गया हो।

4.    जब वह शारीरिक या मानसिक अक्षमता के कारण पद पर बने रहने के अयोग्य हो गया हो।

5.    जब उसने वित्तीय या ऐसे अन्य हित अर्जित कर लिए हो जिससे उसके पदीय कृत्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पडता हो।

कदाचार-

इस धारा के प्रयोजनार्थ निम्नांकित को “कदाचार” माना गया है-

(क)  भारत सरकार द्वारा या उसकी ओर से की गई किसी संविदा में हितबद्ध हो जाना;

(ख)  किसी निगमित कम्पनी के सदस्य से अन्यथा किसी रूप में और उसके अन्य सदस्यों के साथ संयुक्त रुप से लाभ में हिस्सा प्राप्त करना; आदि।

 

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