अमोल मालुसरे –सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 18 (3) में विहीत किये गये अनूसार केन्द्रीय या राज्य सूचना आयोग को किसी मामले में जाँच करते समय कौन- कौनसी शक्तियाँ प्राप्त होंगी?


उत्तर-सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 18 (3) में “विहीत” किये गये अनूसार केन्द्रीय या राज्य सूचना आयोग को किसी मामले में जाँच करते समय प्राप्त शक्तियाँ निम्नानुसार-

 

केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य आयोग को, इस धारा के अधीन किसी मामले में जांच करते समय वही शक्तियां प्राप्त होंगी, जो निम्नलिखित मामलों के संबंध में सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के अधीन किसी वाद का विचारण करते समय सिविल न्यायालय के निहीत होती है, अर्थात-

(क) किन्हीं व्यक्तियों को समन करना और उन्हें उपस्थित करना तथा शपथ पर मौखिक या लिखित साक्ष्य देने के लिए और दस्तावेज या चीजें पेश करने के लिए उनको विवश करना;

(ख)  दस्तावेजों के प्रकटीकरण और निरिक्षण की अपेक्षा करना;

(ग)  शपथपत्र पर साक्ष्य को अभिग्रहण करना;

(घ) किसी न्यायालय या कार्यालय से किसी लोक अभिलेख या उसकी प्रतियां मंगाना;

(ड)  साक्षियों या दस्तावेजों की परिक्षा के लिए समन जारी करना; और

(च) कोई अन्य विषय, जो विहीत किया जाए।

 

 

आयोग की शक्तियाँ हेतु टिप्पणी-

                  अपने कर्तव्यों के समुचित निर्वहन के लिए आयोग को वे सारी शक्तियां प्रदान की गई है जो सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908  के अधीन किसी वाद का विचारण करते समय सिविल न्यायालय में निहित है, यथा-

(क)  किसी व्यक्ति को समन करना तथा शपथ पर उसकी मौखिक या लिखित साक्ष्य लेना;

(ख) किसी व्यक्ति को दस्तावेज या चीजें पेश करने के लिए विवश करना;

(ग) दस्तावेजों के प्रकटीकरण और निरीक्षण की अपेक्षा करना;

(घ)  शपथ पत्र पर साक्ष्य लेना;

(ड) किसी न्यायालय या कार्यालय में कोई  लोक अभिलेख या उसकी प्रति मंगाना;

(च) साथियों की परिक्षा के लिए समन जारी करना; तथा

(छ)  कोई अन्य विषय जो विहीत किया जावे।

इसी प्रकार जांच के लिए उपरोक्त विषयों के संबंध में आयोग को सिविल न्यायालय की शक्तियाँ प्रदान की गई है।

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