अमोल मालुसरे – सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 11 में विहीत अनूसार तृतीय पक्षकार सूचना का अर्थ क्या है ?

 

उत्तर-

धारा 11. तृतीय पक्षकार सूचना

1)    जहां, किसी यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य सूचना अधिकारी का, इस अधिनियम के अधीन किए गए अनुरोध पर कोई ऐसी सूचना या अभिलेख या उसके किसी भाग को प्रकट करने का आशय है, जो किसी पर –व्यक्ति से संबंधित है या उसके द्वारा प्रदाय किया गया है उस पर-व्यक्ति द्वारा उसे गोपनीय माना गया है, वहां यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य सूचना अधिकारी अनुरोध प्राप्त होने से पांच दिन के भीतर ऐसे पर-व्यक्ति को अनुरोध की और इस तथ्य की लिखित रूप में सूचना देगा कि यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य सूचना अधिकारी का उक्त सूचना या अभिलेख या उसके किसी भाग को प्रकट करने का आसय है, और इस बाबत कि सूचना प्रकट की जानी चाहिए या नहीं, लिखित में या मौखिक रूप से निवेदन करने के लिए पर-व्यक्ति को आमंत्रित करेगा तथा सूचना के प्रकटन की बात कोई विनिश्चय करते समय पर-व्यक्ति के ऐसे निवेदन को ध्यान में रखा जाएगाः

परंतु विधि द्वारा संरक्षित व्यापार या वाणिज्यिक गुप्त बातों की दशा में के सिवाय, यदि ऐसे प्रकटन में लोकहित, ऐसे पर-व्यक्ति के हितों की किसी संभावित अपहानि या क्षति से अधिक महत्त्वपूर्ण है तो प्रकटन अनुज्ञात किया जा सकेगा।

2)    जहां उपधारा (1)  के अधीन यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य सूचना अधिकारी द्वारा पर-व्यक्ति पर किसी सूचना या अभिलेख या उसके किसी भाग की बाबत कोई सूचना तामील की जाती है, वहां ऐसे पर-व्यक्ति को, ऐसी सूचना की प्राप्ति की तारीख से दस दिन के भीतर, प्रस्तावित प्रकटन के विरूद्ध अभ्यावेदन करने का अवसर दिया जाएगा।

3)   धारा 7 में किसी बात के होते हुए भी, यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य सूचना अधिकारी धारा  6 के अधीन अनुरोध प्राप्त होने के पश्चात चालीस दिन के भीतर, यदि पर –व्यक्ति को उपधारा (2)  के अधीन अभ्यावेदन करने का अवसर दे दिया गया है, तो इस बारे में विनिश्चय करेगा कि उक्त सूचना या अभिलेख या उसके भाग का प्रकटन किया जाए या नहीं और अपने विनिश्चय की सूचना लिखित में पर –व्यक्ति को देगा।

4)   उपधारा (3)  के अधीन दी गई सूचना में यह कथन भी सम्मिलित होगा कि वह पर –व्यक्ति ,जिसे सूचना दी गई है, धारा 19 के अधीन उक्त विनिश्चय के विरूद्ध अपील करने का हकदार है।

टिप्पणी

 धारा 11 यह कहती है कि जहां चाही गई सूचना ऐसी हो जो किसी पर-व्यक्ति से संबंधित हो या ऐसे पर-व्यक्ति द्वारा वह प्रदाय की गई हो या वह पर-व्यक्ति ऐसी सूचना को गोपनीय मानता हो, तब केन्द्रीय लेक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी द्वारा इस आशय की लिखित सूचना दी जाएगी कि-

(क)  किसी व्यक्ति द्वारा अमुक सूचना चाही गई है;

(ख)  ऐसी सूचना उस पर-व्यक्ति से संबंधित है या उसके द्वारा प्रदाय की गई है या वह उसे गोपनीय मानता है;

(ग) ऐसी सूचना को चाहे गए व्यक्ति को उपलब्ध कराने का उस अधिकारी का आशय है; वह व्यक्ति सूचित करे कि ऐसी सूचना चाहे गए व्यक्ति को दी जाए या नहीं। पर व्यक्ति इसका जो भी उत्तर देता है उसे ऐसे आवेदन का निपटारा करते समय ध्यान में रखा जाएगा।

यदि सूचना को प्रकट किया जाना लोक हित में अधिक है और पर –व्यक्ति हो होने वाली हानि अपेक्षाकृत कम है तो ऐसी सूचना के प्रकटन की अनुमति दे दी जाएगी।

पर-व्यक्ति से सूचना का प्रकटन चाहे जाने पर ऐसा पर-व्यक्ति सूचना की तामील से 10  दिन के भीतर अपना अभ्यावदेन प्रस्तुत कर सकेगा।

सूचना चाहने वाले व्यक्ति के अनुरोध के पश्चात 40 दिन के भीतर ऐसे अनुरोध पर निर्णय लिया जाना अपेक्षित है कि वांछित सुचना का प्रकटन किया जाए या नहीं

यदि सूचना का प्रकटन किया जाता है तो पर-व्यक्ति द्वारा ऐसे विनिश्चय के विरूद्ध अपील की जा सकेगी।

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